* पिता नहीं है तो क्या हुआ, चाचा ताऊ तो जिंदा हैं * आज की शाम भी रोज की तरह ही थी। घर के अधिकतर सदस्य अपने-अपने कमरों में थे। मैं रसोई में अपना काम निपटा रही थी। अचानक बाहर से मुझे मेरे पति की आवाज सुनाई दी। शायद वो मुझे बुला रहे थे। अभी थोड़ी देर पहले ही वो अपने जिम से घर लौटे थे। आखिर उनकी आवाज सुनकर गैस को धीमी आंच पर करके मैं रसोई से निकलकर अभी बाहर आई ही थी। इससे पहले कि मैं उनसे कुछ पूछती एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर आकर लगा। कुछ पल के लिए सब कुछ सुन्न सा हो गया। ना मुझे कुछ सुनाई दे रहा था, ना ही मुझे कुछ दिखाई दे रहा था। मैं जमीन पर एक तरफ गिरी पड़ी थी। पर उस एक थप्पड़ की गूंज पूरे माहौल में गूँज चुकी थी। घर के हर कमरे में वो गूँज सुनाई दे रही थी। घर के बाकी सदस्य देवर और ससुर जी भी निकल कर बाहर हॉल में आ गए थे। वहीं जहां ये थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा था। वहीं जहाँ सासू मां अपनी विजयी मुस्कान के साथ अपने बेटे के पौरूष पर इतरा रही थी। आखिर उनके बेटे ने उनके कलेजे को ठंडक प्रदान जो कर दी थी। सचमुच आज जब उनका बेटा मेरे गाल पर थप्पड़ लगाकर मुझे कमजोर साबित कर रहा था, तब सासु मां को अ
Comments
Post a Comment