हमारा अहंकार ही हमारे विनाश का कारण बनता है
हमारा अहंकार ही हमारे विनाश का कारण बनता है
एक चतुर शेर की कहानी, जिसने शिकार करने के लिए भूरी गाय से दोस्ती गांठी
एक जंगल में तीन गाएं थीं। उसमें से एक काली, एक सफेद और एक भूरी थी। तीनों हमेशा साथ रहती थीं। एक शेर बड़े दिनों से उन पर नजरें जमाए हुए था। पर वह उनमें से किसी एक पर झपट नहीं सकता था, क्योंकि वे अकेली होती ही नहीं थीं। ऐसे में शेर को यह तरकीब सूझी कि क्यों न उनमें से किसी एक गाय से दोस्ती की जाए। एक दिन भूरी गाय के पास जाकर उसने नरम स्वर में कहा, कैसी हो मित्र? भूरी गाय ने सहमते हुए धीरे से पूछा, महाराज, क्या आप मुझे जानते हैं?
शेर मुस्कराते हुए बोला, भला क्यों न जानूंगा? तुम हमारे ही परिवार से हो। इसलिए तो तुम्हारा रंग भूरा है। धीरे-धीरे भूरी गाय और शेर के बीच बातचीत बढ़ने लगी। शेर का साथ पाकर भूरी गाय में अहंकार आ गया। काली और सफेद गाय ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की कि शेर से दोस्ती उसके लिए ठीक नहीं। शिकार बनाने के लिए ही शेर उससे दोस्ती गांठ रहा है। पर भूरी गाय को लगता कि दोनों गाएं उससे जलती हैं, इसी कारण वे शेर से दोस्ती के लिए मना कर रही हैं।
शेर मुस्कराते हुए बोला, भला क्यों न जानूंगा? तुम हमारे ही परिवार से हो। इसलिए तो तुम्हारा रंग भूरा है। धीरे-धीरे भूरी गाय और शेर के बीच बातचीत बढ़ने लगी। शेर का साथ पाकर भूरी गाय में अहंकार आ गया। काली और सफेद गाय ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की कि शेर से दोस्ती उसके लिए ठीक नहीं। शिकार बनाने के लिए ही शेर उससे दोस्ती गांठ रहा है। पर भूरी गाय को लगता कि दोनों गाएं उससे जलती हैं, इसी कारण वे शेर से दोस्ती के लिए मना कर रही हैं।
भूरी गाय का स्वभाव बदलने लगा। काली और सफेद गाय से उसके झगड़े बढ़ने लगे। एक दिन शेर भूरी गाय से बोला, चलो, तुम्हें जंगल की सैर कराने ले चलता हूं। तुम्हें मैं अपना साम्राज्य दिखाता हूं। भूरी गाय ने सोचा, हर बार की तरह इस बार भी सफेद और काली गाएं मेरा साथ नहीं देंगी। इसलिए वह शेर के साथ अकेले ही जंगल में जाने को तैयार हो गई। बस फिर क्या था। घने जंगल में मौका देखते ही शेर ने भूरी गाय को अपना शिकार बना लिया।
अपने अंतिम समय में भूरी गाय यही सोचती रही कि काश, मैंने उन दोनों की सलाह मानी होती, तो मुझे आज यह दिन न देखना पड़ता। शेर के बहकावे में आकर भूल ही गई थी कि मैं कौन हूं।
अपने अंतिम समय में भूरी गाय यही सोचती रही कि काश, मैंने उन दोनों की सलाह मानी होती, तो मुझे आज यह दिन न देखना पड़ता। शेर के बहकावे में आकर भूल ही गई थी कि मैं कौन हूं।
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